Book Title: Nyaya Dipika
Author(s): Bansidhar Shastri
Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay
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पृष्ठ.
इस लक्षणके प्रत्येक पदकी सार्थकता. ...
११९ नैयायिकादिके आप्तमें दोष. ... ... प्रमाणके विषयभूत अर्थका लक्षण. ...
१२१ नैयायिकोंके जातिपदार्थका खण्डन. ...
• १२१ विशेष (पर्याय) के भेद.... ... ...
१२२ गुणका लक्षण और गुणपर्यायोंमें परस्पर स्वरूपभेद. ... १२३ द्रव्यका लक्षण और उसका जीवाजीव द्रव्योंमें संघटन.... १२४ नयका लक्षण और उसके द्रव्यार्थिक, पर्यायार्थिक ऐसे दो
... ... ... ... ... ... ... उपर्युक्त दोनों नयोंके आधारपर सुवर्णादि वस्तुके पर्यायों.
में परस्पर भेदाभेदका दिखाना तथा सात भंगोंमें
प्रथम तीन भंगोंका सिद्ध करना. ... ... ... १२८ शेष चार भंगोंका निदर्शन. ... ... ... ... एक वस्तुमें सात भंगोंके माननेमें शंका समाधान. सर्वथा अभेदवाद मानने में दोष.... ...
१३१ सर्वथा भेदवाद मानने में दोष. ... ... ... ... १३२ अनेकान्तवादमें आक्षेपका उत्तर. ... ... ...
भेद. ...
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