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श्रोत्र । अनिन्द्रिय एक मन है। इन दोनोंके निमित्तसे जो शान उत्पन्न होता है वह लोकव्यवहारमें प्रत्यक्षशब्दसे प्रसिद्ध है इसलिये उसको सांव्यवहारिकप्रत्यक्ष कहते हैं। इसीलिये ऐसा कहा है कि "इन्द्रिय और अनिन्द्रियसे होनेवाले ज्ञानको एकदेश विशद (निर्मल) होनेसे सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष कहते हैं।" इसको अमुख्य प्रत्यक्ष भी कहते हैं, क्योंकि यह वास्तवमें प्रत्यक्ष नहीं है किंतु उपचारसे है । वास्तवमें परोक्ष ही है, क्योंकि मतिज्ञान है । (प्रश्न) मतिज्ञानको परोक्ष क्यों कहते हैं ?
(उत्तर) तत्त्वार्थमहाशास्त्रका ऐसा सूत्र है कि "आये परो. क्षम्' अर्थात् आदिके मतिज्ञान और श्रुतज्ञान दोनों ही परोक्ष हैं । इस ज्ञानको उपचारसे जो प्रत्यक्ष कहा है उस उपचारका भी मूलकारण यही है कि वह देशतः विशद अर्थात् कुछ निर्मल है। ___ सर्वतो विशदं पारमार्थिकं प्रत्यक्षम् । यज्ज्ञानं साकल्येन स्पष्टं तत्पारमार्थिकप्रत्यक्षं मुख्यप्रत्यक्षमिति यावत् । तद्विविधं सकलं विकलं च। तत्र कतिपयविषयं विकलम् । तदपि द्विविधमवधिज्ञानं मनःपर्ययज्ञानं चेति । तत्रावधिज्ञानावरणक्षयोपशमाद्वीयान्तरायक्षयोपशमसहकृताजातं रूपिद्रव्यमात्रविषयमवधिज्ञानम् । मनःपर्ययज्ञानावरणवीर्यान्तरायक्षयोपशमसमुत्थं परमनोगतार्थविषयं मनःपर्ययज्ञानम् । मतिज्ञानस्सेवावधिमनःपर्यययोरवान्तरभेदास्तत्त्वार्थवार्तिकराजवार्तिकश्लोकवार्तिकभाष्याभ्यामवगन्तव्याः।
जो सर्वथा विशद है उसको पारमार्थिकप्रत्यक्ष कहते हैं। अर्थात् जो ज्ञान सम्पूर्णरूपसे स्पष्ट (निर्मल) है उसको पारमार्थिकप्रत्यक्ष अथवा मुख्यप्रत्यक्ष कहते हैं। उसके दो भेद हैं, एक सकलप्रत्यक्ष दूसरा विकलप्रत्यक्ष । जो थोड़ेसे वस्तु और