________________
इन दोनोमेंसे महानसादिकको अन्वयदृष्टान्त कहते हैं; क्योंकि यहांपर साध्य और साधनमें भावरूप एकके रहनेसे दूसरेके रहनेरूप अनुगमकी सम्प्रतिपत्ति दिखाई गई है । ह्रदादिक व्यतिरेकी दृष्टान्त हैं, क्योंकि यहांपर साध्य और साधनमें अभावरूप व्यतिरेककी सम्प्रतिपत्ति दिखाई गई है । ये दृष्टान्त यों हैं कि अन्त अर्थात् साध्यसाधनरूप धर्म निषेधरूपसे या विधिरूपसे दीखते हों उसको दृष्टान्त कहते हैं । ऐसा दृष्टान्त शब्दका अर्थ यहांपर संघटित होता है । इस उक्तलक्षण दृष्टान्तके समीचीन वचनको उदाहरण कहते हैं । केवल वचनको ही दृष्टान्त नहीं कहते किन्तु उसका जो दृष्टान्तपनेसे प्रयोग किया जाता है, उसको दृष्टान्त कहते हैं। जैसे जो जो धूमवान् है वह अग्निमान् है, जैसे महानस । जहांपर अग्नि नहीं होती, वहांपर धूम भी नहीं होता।जैसे,महाह्रदमें। क्योंकि इसी प्रकारके वचनोंके द्वारा दृष्टान्तका दृष्टान्तपनेसे प्रतिपादन हो सकता है ।
उदाहरणलक्षणरहित उदाहरणवदवभासमान उदाहरणाभासः । उदाहरणलक्षणराहित्यं च द्वेधा सम्भवति, दृष्टान्तस्थासम्यग्वचनेनादृष्टान्तस्य सम्यग्वचनेन वा । तत्राद्यं यथा, यो यो वह्निमान् स स धूमवान्, यथा महानस इति, यत्र यत्र धृमो नास्ति तत्र तत्र अग्निर्नास्ति, यथा महाहृद इति च व्याप्यव्यापकयोवैपरीत्येन कथनम् ।
जो उदाहरणके लक्षणसे तो रहित हो किन्तु उदाहरणके समान मालूम पडै उसको उदाहरणाभास कहते हैं । उदाहरणके लक्षणका न रहना दो तरहसे सम्भव है । एक तो सच्चे दृष्टान्तके उलटे कथनसे और दूसरे खोटे दृष्टान्तके समीचीन कथनसे । उसमेसे प्रथम भेद-जो जो वह्निमान् होता है वह वह धूमवान् भी होता है, जैसे महानस । जहां जहां धूम नहीं होता