Book Title: Nitivakyamrut me Rajniti
Author(s): M L Sharma
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 10
________________ गौतम, जैमिनी, देवल, याज्ञवल्क्य, भागुरि, बशिष्ठ, हारीत, बादरायण, विदुर, चारायण, रम्प, बल्लभदेव, शौनक, कामन्दक, राजगुरु वर्ग आदि आचार्यों के नामों का उल्लेख मिलता है। इन समस्त आचार्यों के श्लोक टीकाकार ने नीतिवाक्यामृत में उद्धृत किये है । इस में जिन प्राचीन ग्रन्थों के उद्धरण प्रस्तुत किये गये हैं उन की संख्या पचास से कम नहीं है । इस में उद्धृत अधिकांश श्लोक ऐसे हैं जो वर्तमान काल में उपलब्ध मनु, नारद, याज्ञवल्क्य आदि स्मृतियों एवं शुक्रनीतिसार में नहीं मिलते। ऐसा प्रतीत होता है कि मामव और औशनप्त सम्प्रदायों के अन्य भी बहुत से अन्य प्राचीन काल में उपलब्ध होंगे, जो अब काल के कराल गर्त में विलीन हो गये है। बृहत् पराशर तथा अम्मि, गरुड, मत्स्य, विष्णु, मार्कण्डेय आदि पुराणों में भी राजनीतिशास्त्र से सम्बन्धित सामग्री उपलब्ध होती है। मध्यकाल में भी राजनीति साहित्य को धारा अनवरत रूप से प्रवाहित होती रही । मध्यकाल के प्रमुख राजनीति प्रधान प्रन्थों में लक्ष्मीधर का राजनीतिकल्पतरु, देवल भट्ट का राजनीतिकाण्ड, चण्डेश्वर का राजनीतिरत्नाकर, नीलकण्ठका नीतिमयूख, भोज का युक्तिकल्पतरु, मित्रमित्र का राजनीतिप्रकाश, चन्द्रशेखर का राजनीतिरत्नाकर तथा अनन्तदेव का राजधर्म उल्लेखनीय है। इन ग्रन्थों को प्राचीन नीति साहित्य का संग्रह अन्य ही कहा जा सकता है। इन को हम मौलिक रषना नहीं कह सकते। इन विद्वानों ने उसी प्राचीन परम्परा का अनुकरण किया है। प्राचीन राजशास्त्र प्रणेता और सोमदेव सुरि भारत में राजनीतिशास्त्र के अध्ययन की परम्परा बहुत प्राचीन रही है। यह देश राजनीति के क्षेत्र में पाश्चात्त्य देशों से बहुत आगे था । आचार्य कौटिल्म तथा सोमदेव से बहुत पूर्व यहाँ अनेक महान राजनीतिज्ञ हो चुके थे, जिन के मतों का उल्लेख महाभारत, कौटिलीय अर्थशाहल, कामन्दक के नीतिसार एवं नीतिवाक्यामृत की संस्कृत टीका में प्राप्त होता है। अर्थशास्त्र में अनेक स्थलों पर विशालाक्ष, इन्द्र (बहुदन्त), बृहस्पति, शुक्र, मनु, भारद्वाज आदि प्राचीन राजशास्त्र प्रणेताओं के मत सद्धत है। कौटिल्य के उपर्युक्त विद्वानों के मतों का उल्लेख करने के उपरान्त अपना मत व्यक्त किया है । दुर्भाग्य से आज यह समस्त राजनीति प्रधान साहित्य उपलब्ध नहीं है, किन्तु उस के उपयोगी अंश महामारत, कौटिलीय अर्थशास्त्र, कामन्दक के नीतिसार तथा सोमदेव के नीतिवाक्यामृत में प्रास होते हैं, जिन से. यह सिद्ध होता है कि भारत में इस शास्त्र को रचना महाभारत से पूर्व ही हो चुकी थी। वर्तमान उपलब्ध राजनीतिक साहित्य में मनुस्मृति, शुक्रनीतिसार, अर्थशास्त्र, कामन्दक का नीतिसार एवं सोमदेव का नीतिवाश्यामृत ही प्रमुख ग्रन्थ है । यह बात भी उल्लेखनीय है कि वर्तमान उपलब्ध मनुस्मृति, शुक्रनीतिसार, याज्ञवल्क्य स्मृति आदि ग्रन्थ बहुत दाद की रचनाएँ है, जैसा कि उन में प्राप्त सामग्री से सिद्ध होता है । जिस प्रकार मनुस्मृति का संकलन भृगु भारत में राजनीतिशास्त्र के अध्ययन की परम्परा

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