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धर्म-निरूपण
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तलायसोस) सर, द्रह, तालाब की पाल फोड़ने का (च) और (असईपोस) दासी वेश्यादि के पोषण वा (कम्म) कर्म (वज्जिज्जा) छोड़ देना चाहिए ।
भावार्य हे गौतम ! ऐसे कई प्रकार के यंत्र हैं कि जिनके द्वारा पंचेन्द्रियों के अवयवों का छेदन-भेदन होता हो, अथवा यंत्रादिकों के डनाने से प्राणियों को पीड़ा हो, आदि ऐसे घंन सम्बन्धी-धंधों का गृहस्थ-धर्म पालन करने वालों को परित्याग कर देना चाहिए और बैल आदि को नपुंसक अर्थात् खस्सी करने का, दावानल सुलगाने का, बिना खोदी हई जगह पर पानी भरा हुआ हो, ऐसा सर, एवं खूब जहाँ पानी मरा हुआ हो सा ह तथा तालाब, यूया, बावड़ी आदि जिसके द्वारा बहुत से जीन पानी पीकर अपनी तुषा बुझाते हैं । उनकी पाल फोड कर पानी निकाल देने का, दासी वेश्या आदि को व्यभिचार के निमित्त या बहों को मान लि. बिल्ली आदि IT करना, आदि-आदि कर्म गृहस्थी को जीवन भर के लिए छोड़ देना ही सच्या गृहस्थ-धर्म है। गृहस्थ का आठयां धर्म अगत्थदंडवेरमणं-हिसक विचारों, अनर्थकारी बातों आदि का परित्याग करना है। गृहस्थ का नौवा धर्म यह है, कि सामायं-दिन भर में कम से कम एक अन्तर्महतं । ४८ मिनट) तो ऐसा बितादें कि संसार से बिलकुल ही विरक्त हो कर उस समय यह आस्मिक गुणों का चिन्तबन कर सकें। गृहस्थ का दशवा धर्म है वेसावागासियं-जिन पदार्थों की छूट रक्खी है, उनका फिर भी त्याग करना और निर्धारित समय के लिए मांसारिक झंझटों से पृथक् रहना । ग्यारहवां धर्म यह है कि पोसहोववासे-- कम से कम महीने भर में प्रत्येक अष्टमी, चतुर्दशी, पूर्णिमा और अमावस्या को पौषध करे अर्थात् इन दिनों में दे सम्पूर्ण सांसारिक झंझटों को छोड़ कर अहोरात्रि आध्यात्मिक विचारों का मनन किया करें। और बारहवां गृहस्प का धर्म यह है कि अतिहिसंयक्षस्सविभागे-अपने घर आये हुए अतिथि का सत्कार कर उन्हें भोजन वे देते रहें। इस प्रकार गृहस्थ को अपने गृहस्पधर्म का पालन करते रहना चाहिये ।
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१ आगार 2 The eleventh vow of a layman in which he has to abandon
all sinful activities for a day and has to remain in a Reli gious place fasting.
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