________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
एक २ भाग काल आदि दस कुमारोंको दिया, और ग्यारहवाँ भाग खुद लेकर राज्य करने लगा।
राजा श्रेणिकने सेचनक गन्ध हाथी और रानी नन्दाने अठारह लडीबाला हार कूणिकके छोटे भाई बैहल्यको दिया था। वह हाथो पर बैठ गङ्गा नदीमें अपने अन्तःपुर परिवारके साथ क्रीडा करते थे। उनकी क्रीडा देखकर लोग कहने लगे-वास्तविक राज्योपभोग तो वैहल्ल्य कुमार ही करते हैं। कूणिक तो नाम मात्रके राजा हैं, क्यों कि उनके पास सेचनक गन्ध हाथी नहीं है। धोरे २ वैहल्यको जलक्रीडाका समाचार कूणिक राजाकी रानी पद्मावतीको मालम हुआ, वह वैहल्यसे सेचनक हाथी और अठारह लडीबाला हार ले लेनेके लिये कूणिकको बार बार प्रेरित करने लगी। कूणिक अन्तमें रानीकी बात मानकर अपने भाईसे हाथी और हार मागा। उन्होंने भी राज्यका हिस्सा माँगा, परन्तु कूणिक इस पर तैयार न हो सके। यह देख नैहल्य कुमार मौका पाकर हाथी हार आदि अपनी सभी सामग्री लेकर अपने अन्तःपुर परिवारके साथ पैशाली नगरीमें अपने नाना
चेटकके पास पहुँचे । कूणिकने अपने दूतके द्वारा चेटकको संदेशा दिया कि आप हाथी और हारके साथ पैहल्यको भेजदें। इसपर चेटकने उत्तरमें संदेशा भेजा-यदि तुम राज्यका भाग अहल्यको दो तो इसे हम हाथी और हारके साथ भेज सकते हैं, परन्तु कुणिकको यह शर्त मंजूर नहीं हुई, फल स्वरूप दोनोमें युद्ध हुआ। इधर कुणिककी तरफ काल आदि दस कुमार थे उधर चेटककी और नौ लच्छी नौ मल्लकि ये अक्षरह गणराजा थे। इनमें प्रत्येकके पास तोन २ हजार हाथी घोडे रथ और तीन २ करोड पैदल सैनिक थे । प्रथम दिनको लडाईमें कालकुमार अपने तीन २ हजार हाथी घोडे. रथ और तीन करोड पैदल सैनिकके साथ चेटक राजासे लडनेके लिये आया और चेटकके एक अमोघ बाणसे सैन्य सहित मारा गया। दूसरे दिन सुकालकुमार, तीसरे दिन महाकाल, चौथे दिन कृष्णकुमार, पाँचवें दिन सुकृष्ण, छठे दिन महाकृष्ण, सातवें दिन वीरकृष्ण, आठवें दिन रामकृष्ण, नवमें दिन पितृसेनकृष्ण और दशवें दिन महासेनकृष्ण, अपने २ सैन्य
For Private and Personal Use Only