Book Title: Nandanvan Kalpataru 2019 11 SrNo 43
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 23
________________ श्रीगौतमस्वामिस्तुतिः - मुनितारकचन्द्रसागरः सुरगिरिसमधीरं सागराओ गभीरं, ससधरसमसोम्मं तेयठाणं पवित्तं । सुजणकमलभाणुं दोसनासट्ठवज्जं, सुमरिमु सिरिसामि गोयमं लद्धिजुत्तं ।।१।। जिअसयलसिलाहं वद्धमाणस्स सीसं, पढमगणहरं तं सोम्मकंतीऍ जुत्तं । सयलभविजणाणं कप्परुक्खं व सक्खं सुमरिमु सिरिसामि गोयमं लद्धिजुत्तं ।।२।। मणवयसिरसा भो पूजिरे भत्तिजुत्ता परमसिवसुहं ते पाविरे जे णर त्ति। तवबलसिरिमंतं सव्वलद्धीण सामि सुमरिमु सिरिसामि गोयमं लद्धिजुत्तं ॥३॥ वरविउससहाए से किवा होइ भव्वे, लहइ विजयसिद्धिं सव्वरिद्धिं समिद्धिं । सयलकुसलवल्लीवद्धणे मेहतुल्लं, सुमरिमु सिरिसामि गोयमं लद्धिजुत्तं ।।४।। निर्नाशयन् यः कुविकारपापं, प्रणाशयंश्चाशु भवस्य तापम्। विकासयन्नात्मनि शुद्धभावं स्मराम्यहं तं गुरुगौतमं हि ।।५।।

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