Book Title: Nandanvan Kalpataru 2019 11 SrNo 43
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 28
________________ जीवनं जलवत्कार्यं, प्रवहन्तं च शैत्यदम्। जीवनं जडवत्स्याच्चेद्, दुर्गन्धं जनयिष्यति ॥ किञ्चिदुष्णोदकं प्रातस्तकं च भोजनान्तरम्। रात्रौ दुग्धे हरिद्रा च, स्वास्थ्यार्थं सेव्यते बुधैः ।। ***** वन्दे मे मातरम् ॥ __- डो.वासुदेव वि. पाठकः 'वागर्थः' वन्दे मे मातरं, भारतीं मातरम्। भद्रभद्रतायुतां, भा-रतां मातरम् ।। आसेतु-हिमाद्रि, भारती मातरम् । आद्वारिका-पुरी, रमणीयां मातरम्; वन्दे मे मातरम् ॥ रामकृष्णशिवशक्तिसम्पन्नां मातरम् । राष्ट्रभक्तिसम्पन्नैः, सेवितां मातरम्; ___ वन्दे मे मातरम् ॥ बुद्धमहावीराद्यैः, लोकहितार्थं सदा, तपसा च त्यागेन, संपुष्टां मातरम्; वन्दे मे मातरम् ॥ कोटिकोटिसुज्ञैश्च, संस्कृतेन संस्कृताम्, पुण्यपथप्रदर्शिकां, कमनीयां मातरम् ।। वन्दे मे मातरम् ॥ ****** 16

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