Book Title: Mandir
Author(s): Amitsagar
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 7
________________ Y . :..: :.......... ..... आपकी समस्यायें और उनके समाधान १. यदि आपके घर से मन्दिर जी पास है तो सुबह-शाम(रात्रि) में दोनों समय मन्दिर जी परिवार सहित जाइये एवं सुबह के समय दर्शन-अभिषेक पूजन, शाम को आरती-भजनस्वाध्याय-मार आदि कीजिए २. यदि आपके घर सं मन्दिर जी लगभग एक कि. मी. है तो प्रतिदिन प्रातःकाल ही स्नानादि करके यथायोग्य सामग्री लेकर परिवार सहित ही जायें। ३. यदि आपके घर से मन्दिर जी दो कि. मी. या इससे अधिक है एवं स्कूल, कॉलेज, दुकान, ऑफिस आदि के रास्ते में पड़ता हो और आपका स्वयं का वाहन-गाड़ी, स्कूटर, मोटर साइकिल है तो उसे रोककर या किराये के वाहन को रोककर या छोड़कर मंदिर जी में दर्शन करने जरूर जाना चाहिए। ४. यदि आपके घर से मन्दिर जी ५ से १० कि. मी. दूर है तो सप्ताह में छुट्टी के दिन सपरिवार अवश्य मन्दिर जी जाना चाहिए | ५. मन्दिर जी जाने के साथ-साथ ही प्रतिदिन अपने घर में रात्रि को सामूहिक णमोकार मन्त्र, मेरी भावना, छहढाला, आलोचना पाठ आदि को जरूर पढ़ना चाहिए इससे मानसिक शान्ति तो मिलती ही है, और इसी के साथ घर का पर्यावरण भी परिशुद्ध होता है । ६. घर में स्वाध्याय करने के लिए ऐसा शास्त्र होना चाहिए जो सभी को समझ में आए जिससे ज्ञान एवं चारित्र में वृद्धि हो । अतः इसके लिए सम्यक्त्व कौमदी, श्रेणिक चरित्र, पाण्डव पुराण, प्रद्युम्न चरित्र, पद्म पुराण, धर्म परीक्षा आदि ग्रन्थ लाकर पढ़ना चाहिए। नोट- यदि यह "मन्दिर" पुस्तक आपको अच्छी लगे तो आप सभी को पढ़ायें । उत्सव, व्रत, त्यौहार, जन्म दिवस, पुण्य स्मृति के उपलक्ष्य में बाँटने एवं छापने योग्य समझे तो लागत मूल्य पर छपाइये। ट्रस्ट-न्यास-फाउन्डेशन आदि द्वारा छपाना चाहते हो तो उनके नाम, चित्र, परिचय सहित छपवा सकते वर्तमान लागत मूल्य 10/- रूपया प्रकाशक

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