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विषय-सूची
सन्धि १९
(१) भरत दान के बारेमें सोचता है । (२) कंजूस व्यक्तिको निन्दा । ( ३ ) गुणी व्यक्ति कौन ! { ४ ) राजाओंको बुटाया गया । ब्राह्मण वर्णकी स्थापना। (५) ब्राह्मणों के बाद शपिय पर्णको स्थापना । ( ६-७ ) ब्राह्मणकी परिभाषा । श्राह्मणों को दान । (८) अशुभ स्वप्नावलीका दर्शन । (१)। भरा द्वारा ऋषभ जिनके दर्शन घोर अशुभ स्वप्नका फल पूछना । (१०) ऋषभ जिन द्वारा ब्राह्मणोंको आलोपना । (११) भविष्य कपन । {१२) अशुम स्वप्न फल कपन : (१३) भविष्य कषम |
सन्धि २०
(१) पुराणको परिभाषा । (२)शिक्के कर्तृत्वका खण्डन । (३-४) लोकका वर्णन । (५) विजया पर्वतका वर्णन । (६-७) अलकापुरीका वर्णन । (८) राजा अतिबलका वर्णम । (१) रानी मनोहराका धन(१) रामसिंह
पुत्र महाबलको गद्दी और उपवेषा । (१२) राजा महावक चोर उसके मन्त्री। (१३) स्वयंमुखका उपदेश । (१४) इन्द्रियसुखकी निम्दा । (१५) विषय-सुखको निन्दा । ( १६ ) स्वयं बुद्धका उपदेश जारी रहता है । (१७) मन्त्री महाभूत द्वारा चार्वाक मतका समयन । (१८) स्वयंवृद्धि द्वारा खण्डन । ( १९) क्षणिकवादोका खण्डन । (२०) सियार और मछलोका उदाहरण । ( २१ ) जिनकथनका समर्थन । पूर्वज अरविन्द और उसके पुत्र हरिश्चन्द और कुलविन्दका रुख । (२२) पिता अरविन्दको वाहवर । { २२) अरविन्द रक्तसरोवर बनवाने के लिए कहता है । ( २४ ) कृत्रिम रक्तसरोवरमें राजाका स्नान । राषाका क्रोध । उसने छुरीसे पुत्रको मारना चाहा, परन्तु उसपर गिरकर स्वयं भर गया।
सन्धि २१
४२-५७ (१) स्वयंवृद्धि महाबलको सहारा देता है। मन्त्री द्वारा पूर्वजोंका कयन । (२) राजाके विस्ती शान्ति । सुमेरू पर्वतका वर्णन । ( ३) चारण मुनियों का आगमन । उनका वर्णन । ( ४ ) मुनियों का उपदेश । राजाके दसवें भवमें तीर्थकर होने का उपदेश । (५) रामा अपवर्माने ( जो महाबलका बड़ा पुष या ) भी छोटे माईको राज्य देने के कारण संन्यास ले लिया। (६ ) वनमें गकर तपस्या करना । वनका वर्णन ! (७) मुनि जयवर्माका निदाम । (८) सापके काटनेसे मृत्यु। अलकापुरी में मनोहराका पुत्र । (९) स्वयंका राजाको समझाना। (१०) स्वयंट महाबलसे कहता है कि मुनिका कहा सूर महीं हो सकता । (११) महाबल द्वारा स्वयंबुद्धकी प्रपांचा । (१२ ) बिनवरती