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कारणं मच्चुणो कि जणो कंखए होइ सत्थं सिरीसं पि आउक्खए ।
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क्या मनुष्य मृत्युका कारण चाहता है ? आयुके क्षय होनेपर शिरोष भी हथियार हो जाता है।
अरहंतु सरंतहं होइ धम्मू मा मोहे तुहुँ संचहि दुकम्मु ।
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अरहन्तका स्मरण करनेवालोंको धर्म होता है। मोहसे तुम पाप कर्मका संचय मत करो।
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