Book Title: Mahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Author(s): Narendra Jain
Publisher: Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
View full book text
________________
xviii
महाकवि भूधरदास :
श्रावक के आचरण को दर्शन, व्रत आदि ग्यारह प्रतिमाओं के रूप में प्रतिपादित किया है। साधक श्रावक उपर्युक्त सभी व्रतों का पालन करता हुआ समाधिमरण करता है । इस प्रकार धार्मिक विचारों में मुनिधर्म एवं गृहस्थ धर्म का वर्णन हुआ है।
नैतिक विचारों में सज्जन - दुर्जन, कामी, अन्धपुरुष, दुर्गतिगामी जीव, कुकवियों की निन्दा, कुलीन की सहज विनम्रता, महापुरुषों का अनुसरण, पूर्वकर्मानुसार फल प्राप्ति, धैर्यधारण का उपदेश, होनहार दुनिर्वार, काल सामर्थ्य, राज्य और लक्ष्मी, मोह, भोग एवं तृष्णा, देह व संसार का स्वरूप, समय की बहुमूल्यता, मनुष्य अवस्थाओं का वर्णन एवं आत्महित की प्रेरणा, राग और वैराग्य का अन्तर व वैराग्य कामना, अभिमान निषेध, धन के संबंध में अज्ञानी का चिन्तन, धनप्राप्ति भाग्यानुसार, मन की पवित्रता, हिंसा का निषेध, सप्तव्यसन का निषेध, मिष्ट वचन बोलने की प्रेरणा, मनरूपी हाथी का कथन आदि अनेक विषयों का वर्णन किया है।
अष्टम अध्याय में हिन्दी संत साहित्य के विशेष सन्दर्भ में भूधरसाहित्य की समानताओं और असमानताओं का विस्तृत विवरण देते हुए भूधरदास का मूल्यांकन किया गया है ।
नवम अध्याय में सम्पूर्ण विषयवस्तु का उपसंहार किया गया है। साथ ही भूधरदास के योगदान पर भी विचार किया गया है I
अन्त में परिशिष्ट के रूप में सन्दर्भग्रंथों की सूची, पत्र पत्रिकाओं की सूची, शोधोपयोगी सामग्री प्राप्त कराने में सहयोगी ग्रंथालयों की सूची एवं प्रकाशन हेतु आर्थिक सहायता देने वाले दातारों की नामावली प्रस्तुत करके शोधप्रबन्ध समाप्त किया गया है।
यह शोध प्रबन्ध परमादरणीय श्रद्धेय गुरुवर्य स्व. डॉ. नरेन्द्र भानावत एवं डॉ. रामप्रकाश कुलश्रेष्ठ के निर्देशन में लिखा गया है। उन्होंने प्रथम भेट में ही मुझे स्वीकृति प्रदानकर कृतार्थ कर दिया। उनके मंगल आशीर्वाद एवं अमूल्य मार्गदर्शन से ही यह कार्य निर्विघ्न पूर्ण हो सका है। मैं हृदय से उनका अत्यन्त कृतज्ञ एवं श्रद्धाभिभूत हूँ ।
डॉ. जे.पी. श्रीवास्तव, खरगोन एवं डॉ. देवेन्द्रकुमार जैन शास्त्री, नीमच का भी मैं हृदय से आभारी हूँ; जिन्होंने मुझे समय-समय पर पर्याप्त निर्देशन प्रदान किया । विषयनिर्धारण में प्रो. जमनालाल जैन, इन्दौर का का विशेष आभारी