Book Title: Kriya Parinam aur Abhipray Author(s): Abhaykumar Jain Publisher: Todarmal Granthamala JaipurPage 15
________________ क्रिया, परिणाम और अभिप्राय : एक अनुशीलन यहाँ हमारा उद्देश्य शुभाचरण या शुभभाव हेय है या नहीं - इस तथ्य की मीमांसा करना नहीं है और न ही किसी व्यक्ति की मीमांसा करना है। प्रश्न:- यदि आपका उद्देश्य मात्र क्रिया, परिणाम और अभिप्राय का विश्लेषण करना है, किसी की निन्दा प्रशंसा करना नहीं, तो फिर प्रारम्भ से ही शुभाचरण और शुभभावों के होने पर भी मोक्षमार्ग न होने की बात क्यों उठाई गई है ? उत्तर:- उक्त तथ्य स्पष्ट हुए बिना हम अभिप्राय' की खोज के लिए प्रयत्नशील ही नहीं हो सकते। यदि शुभक्रिया और शुभभाव मात्र से मोक्षमार्ग हो जाता तो अभिप्राय की चर्चा करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती; परन्तु ऐसा नहीं होता, अतः इस विषय पर गम्भीर मनन-चिन्तन आवश्यक है। प्रश्न1. यह जीव क्या चाहता है और किससे डरता है ? 2. इस जीव ने सुखी होने के लिए अनन्तबार कौन से प्रयत्न किये और उनका क्या फल मिला? 3. इस अनुशीलन का उद्देश्य क्या है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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