Book Title: Kriya Parinam aur Abhipray
Author(s): Abhaykumar Jain
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 110
________________ क्रिया, परिणाम और अभिप्राय : एक अनुशीलन 101 क्रिया, परिणाम और अभिप्राय के वस्तुनिष्ठ प्रश्न (नोट - यद्यपि 4 उत्तरों में एक से अधिक उत्तर भी सही हो सकते हैं, तथापि यहाँ अध्याय की विषय वस्तु के आधार पर उत्तर का चयन करके खाली स्थान भरें।) अध्याय-1 प्रश्न 1: जीव साधिक दो हजार सागर .............. स्वर्ग में बिताता है। (1) 740 सागर (2) 1320 सागर (3) 66 सागर (4) 1260 सागर प्रश्न 2: मिथ्यात्वी जीव को अधिकतम............ क्षयोपशमज्ञान होता है। (1) 11 अंग का (2) 11 अंग 14 पूर्व का (3) 11 अंग 9 पूर्व का (4) 12 अंग का अध्याय-2 प्रश्न 3:...........अंतरंग स्वरूप नहीं जानने से पुरुषार्थ की विपरीतता रहती है। (1) लोक (2) रत्नत्रय (3) शास्त्र (4) अरहंत प्रश्न 4: क्रिया, परिणाम और अभिप्राय का वर्णन...........प्रकरण में आता है। (1) व्यवहाराभासी (2) निश्चयाभासी (3) उभयाभासी (4) सम्यक्त्वसन्मुख मिथ्यादृष्टी प्रश्न 5: बिना पैकिंग (आवरण) के ...........हैं। (1) सिद्ध जीव (2) पुद्गल परमाणु (3) धर्मास्तिकाय (4) उपरोक्त सभी प्रश्न 6: परिणाम...........की पर्याय है। (1) सुख (2) चारित्र (3) दर्शनमोह (4) क्षयोपशम ज्ञान अध्याय-3 प्रश्न 7: क्रिया-परिणाम में ...........सम्बन्ध है। (1) परिणाम-परिणामी (2) कर्ता-कर्म (3) निमित्त-नैमित्तिक (4) निषेध्य-निषेधक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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