Book Title: Kriya Parinam aur Abhipray
Author(s): Abhaykumar Jain
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 112
________________ 103 क्रिया, परिणाम और अभिप्राय : एक अनुशीलन प्रश्न 16: ...........बिगड़ा परिणाम कहलाता है। (1) निम्नोक्त कोई नहीं (2) क्रिया से विपरीत (3) अभिप्राय से विपरीत (4) क्रिया-अभिप्राय से विपरीत प्रश्न 17: अभिप्राय की यथार्थता अयथार्थता...........आधारित है। (1) वस्तुस्वरूपानुसार (2) क्रियानुसार (3) परणिामानुसार (4) लौकिक मान्यतानुसार प्रश्न 18: पण्डित टोडरमलजी ने वासना का अर्थ...........किया है। (1) मन की विपरीतता (2) सात तत्त्वों का अयथार्थ श्रद्धान (3) विषय-भोग की लालसा (4) परस्त्री के प्रति बुरा भाव प्रश्न 19: ...........से क्रिया-परिणाम में संतुलन हो सकता है। (1) ध्यान लगाने (2) शास्त्र पढ़ने (3) रागादि दूर होने (4) उपरोक्त सभी प्रश्न 20: मात्र द्रव्यलिंगी का गुणस्थान...........है। (1) पहला (2) तीसरा (3) चौथा (4) पहले से पाँचवे तक प्रश्न 21: किसी जीव को...........फल मिलता है। (1) अपनी प्रतीति अनुसार (2) शास्त्रानुसार (3) कृत-साधनानुसार (4) ज्ञानानुसार प्रश्न 22: घातिकर्म का बंध...........होता है। (1) कषाय शक्ति के अनुसार (2) बाह्यप्रवृति के अनुसार (3) क्रिया अनुसार (4) उपरोक्त कोई नहीं । प्रश्न 23: सम्यक्त्वी द्रव्यलिंगी की भक्ति...........के कारण करता है। (1) सम्यक्त्व (2) व्यवहारधर्म (3) लोक मान्यता (4) नम्रता प्रश्न 24: सुधरने की अपेक्षा क्रिया-परिणाम-अभिप्राय का क्रम...........है। (1) अभिप्राय-परिणाम-क्रिया (2) अभिप्राय-क्रिया-परिणाम (2) परिणाम-क्रिया-अभिप्राय (4) क्रिया-परिणाम-अभिप्राय *** Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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