Book Title: Kriya Parinam aur Abhipray
Author(s): Abhaykumar Jain
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 60
________________ क्रिया, परिणाम और अभिप्राय का जीवन पर प्रभाव 51 - प्रश्न - 1. हमारे जीवन में बाह्य-क्रियाओं का क्या स्थान है ? क्रिया का प्रभाव किस प्रकार देखा जाता है ? स्पष्ट कीजिये ? 2. परिणामों का प्रभाव हमारे स्वयं के जीवन में और दूसरों के जीवन में किस प्रकार पड़ता है ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये ? 3. एक ही क्रिया करते समय दो जीवों के परस्पर विरुद्ध परिणाम कैसे हो सकते है ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए ? । 4. अभिप्राय का हमारे जीवन में क्या स्थान है ? वह दूसरों को किस प्रकार प्रभावित करता है ? 5. क्रिया, परिणाम, और अभिप्राय से प्राप्त होनेवाले फल का तुलनात्मक विवेचन कीजिए? 6. विपरीत अभिप्राय का फल अनन्त दुःख किस प्रकार है ? 7. क्रिया का फल शून्य है क्या ? और यदि शून्य है तो पापक्रिया छोड़ने का उपदेश क्यों दिया जाता है ? 8. सिद्ध कीजिये कि मिथ्यात्व छिपा हुआ गद्दार है। 9. जीव के चतुर्गति भ्रमण में परिणाम और अभिप्राय की भूमिका सुनिश्चित कीजिये? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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