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१८०
क्रम जीवभेद का नाम
११. न्द्रिय अपर्याप्त
१२.
१३. द्रोन्द्रिय पर्याप्त
१४. त्रीन्द्रिय पर्याप्त
१५.
अपर्याप्त
१६.
१७.
१८. चतुरि १९. चतुरि
२०.
11
"
11
رز
३६.३
२५. २६. संवत
२७. देशविरत
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17
21
पर्याप्त
"
२८. 33
२९. अवि. सम्य. पर्याप्त
अपर्याप्त
37
11
11
30.11 ३१. 11 ३२. अभि. सम्य पर्याप्त
३३. मिथ्यात्वी पर्याप्त
३४.ce
अपर्याप्त
३५.
२१. चतुरि. पर्याप्त
२२. असंज्ञी पंचे. पर्याप्त
२३.
अपर्याप्त
11
२४. असंज्ञी पंचे. अपर्याप्त उत्कृष्ट
पर्याप्त
11
"
बंधप्रकार
31
पर्याप्त
जघन्य
उत्कृष्ट
जघन्य (५०)
उष्ट
"
11,
जघन्य (१००)
उत्कृष्ट
जघन्य (१०००-)
11
11
11
जघन्य
उत्कृष्ट
जघन्य
"
उत्कृष्ठ
17
जघन्य
उत्कृष्ट
13
स्थितिबंध का प्रमाण
३४ सागरोपम पल्योपम के संख्यातवें भाग होन
२ सागरोपम
३ सागरोपम
ॐ सागरोपम पत्योपम के संख्यातवें भाग हीन ७ सागरोपम, पल्योपम के संख्यातवें भाग हीन ७ सागरोपम
७ सागरोपम
१४ सागरोपम, पल्योपम के संख्यातवें भाग हीन १४ सागरोपम, पत्योपम के संख्यातवें भाग हीन १४ सागरोपम
१४ सागरोपम
१४२ ु सागरोपम, पल्योपम के संख्यातवें भाग हीन १४२ सागरोपम, पल्योपम के संख्यातवें भाग हीन १४२ सामरोपम
१४२ सागरोपम
अन्तः कोडाकोडो सागरोपम
11
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31
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37
11
13
31
11
11
11
11
13
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71
31
17
11
11
11
१० कोडाकोडी सागरोपम
21
31
11
31
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11
11
13
कर्मप्रकृति
अल्पबहुत्व
विशेषाधिक
संख्यातगुण
विशेषाधिक
संख्यातगुण विशेषाधिक
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"
संख्यातगुण
विशेषाधिक
11
33
संख्यातगुण
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"1
"
31
71
27
11
11
31
"
नोट - १. यहाँ स्थितिबंध एवं अल्पबहुत्व उसी प्रकृति की अपेक्षा बताया है, जिसकी उत्कृष्ट स्थिति दस कोडाकोडी सागर प्रमाण है। अन्य प्रकृति की अपेक्षा उत्कृष्ट स्थितिबंध पृथक-पृथक होगा ।