Book Title: Karm Prakruti Part 01
Author(s): Shivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
Publisher: Ganesh Smruti Granthmala
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कर्मप्रकृति
मनपर्यायज्ञानावरण मनुष्यगति नामकर्म मनुष्यगत्यानुपूर्वी नामकर्म मनुष्यद्विक मनुष्यायु कर्म मनुष्यत्रिक मनोवर्गणा मनःप्रायोग्य मिथ्यात्व/गुणस्थान मिथ्यात्वमोहनीय महाप्रातिहार्य
मूल
प्रतर प्रमाणानुगम प्रशस्तविहायोगति नामकर्म प्रज्ञा प्राणापानप्रायोग्य प्राणापानवर्गणा प्रतिजिह्वा . . प्रतिलोमक्रम प्रत्याख्यान प्रत्याख्यानावरणकषाय चतुक प्रत्येक प्रकृति प्रकृतियां प्रत्येक शरीर नामकर्म प्रत्येकशरीरीवर्गणा प्रदेश प्रदेशबंध प्रदेशसंक्रमण प्रदेशान प्रदेशोदय बद्धडायस्थिति बध्यमान बादर नामकर्म बादरनिगोदवर्गणा बादर पर्याप्तक बंधनकरण बंधननामकर्म भजनीयबंध भयमोहनीय भव्यत्वभाव भवविपाकित्व भवविपाकिनी प्रकृति प्रकृतियां भावपरमाणु भाषाप्रायोग्य भाषावर्गणा भोगभूमिज भोगान्तरायकर्म मतिज्ञान मतिज्ञानावरणकर्म मधुररस नामकर्म मनपर्यायज्ञान
मूल प्रकृति प्रकृतियां मृदुस्पर्श/नामकर्म मध्यमसंस्थानचतुष्क मध्यमसंहननचतुष्क मोहनीयकर्म यवमध्य प्ररूपणा यशःकीति नामकर्म योग योगप्रत्यय योगस्थान रक्तवर्ण/नामकर्म रस (अनुभाग) रस नामकर्म रसयवमध्य रसविपाक रसविपाका प्रकृतियां रसस्पर्धक रसस्पर्धकसंघातविशेष रसाणु रसाविभाग रतिमोहनीय रूक्षस्पर्श नामकर्म लब्धि-अपर्याप्त लाभान्तरायकर्म लोकाकाश लंबक वचनातिशय

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