Book Title: Karm Prakruti Part 01
Author(s): Shivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
Publisher: Ganesh Smruti Granthmala

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Page 358
________________ परिशिष्ट : वर्ग शुभत्व वर्गणा वर्गणाप्ररूपणा वर्ण/नामकर्म वर्णादिचतुष्क वर्णादिबीस वजऋषभनाराचसंहनन नामकर्म वामनसंस्थान नामकर्म वायुकायिक विकलत्रिक विपाकवेद्य विपाकोदय विपाकोदयविष्कम्भ विशुद्धिस्थान विशुद्धयमान विशेषहीन विशेषाधिक विश्रसापरिणाम विहायोगति नामकर्म विहायोगतिद्विक वीर्य वीर्याविभाग वीर्यान्तरायकर्म वृद्धिप्ररूपणा वेदनीयकर्म वेदनीयद्विक वेदनीयवर्ग वेदत्रिक वैक्रियअंगोपांगनामकर्म वैक्रिय-कार्मणबंधन नामकर्म वैक्रियचतुष्क वैक्रिय-तैजसबंधन नामकर्म वैक्रिय-तैजसकार्मणबंधन नामकर्म वैक्रियवर्गणा वैक्रिय-वैक्रियबंधन नामकर्म वैक्रियद्विक वैक्रियशरीर नामकर्म वैक्रियशरीरप्रायोग्य वैक्रियषट्क शक्ति शरीर/नामकर्म शरीरपंचक शीतस्पर्श नामकर्म शुद्धपुंज शुभनामकर्म शुभ (पुष्य) प्रकृति प्रकृतियां श्रुतज्ञान श्रतज्ञानावरणकर्म श्रेणी श्लेषद्रव्य श्वेतवर्ण नामकर्म शोकमोहनीय षट्सामयिक षट्स्थानप्ररूपणा सजातीय प्रकृति प्रकृतियां सत्ता सप्तसामयिक सप्रतिपक्ष प्रत्येक प्रकृति प्रकृतियां समकव्यवच्छिद्यमानबंधोदय प्रकृति प्रकृतियाँ . समचतुरस्रसंस्थान नामकर्म समय प्ररूपणा सम्यक्त्वचतुष्क सम्यक्त्वमोहनीय सम्यमिथ्यात्वमोहनीय सयोगिकेवली/गुणस्थान सर्व अविशुद्ध सर्वघातित्व सर्वघातिनीप्रकृति प्रकृतियां सर्वक्षय सलेश्यवीर्य साकारोपयोगयोग्य सागरोपम सातवेदनीय साचिसंस्थान साधारणशरीर/नामकर्म सासादनगुणस्थान सादिसंस्थान नामकर्म सान्तर-निरंतरबंधिनी प्रकृति प्रकृतियां सान्तरबंधिनी प्रकृति प्रकृतियां सामर्थ्य सिद्ध सिद्धार्थसुत स्थिति-अपवर्तना स्थिति-उद्वर्तना स्थिति-उदीरणा स्थितिविशेष स्थिति बंध स्थितिबंधस्थान स्थितिबंधाध्यवसायस्थान स्थितिसमुदाहार स्थितिस्थान प्ररूपणा

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