Book Title: Karm Prakruti Part 01
Author(s): Shivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
Publisher: Ganesh Smruti Granthmala
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३०२.
घाति प्रकृति/प्रकृतियां घनाकार लोक
चतुःस्थानगत
चतुः स्थानक चतुः सामयिक
चतुरिन्द्रियजाति / नामकर्म
चक्षुदर्शन
चक्षुदर्शनावरण
चारित्रमोहनीय चारित्रमोहनीयवर्ग
चारित्रलब्धि
चेष्टा
चौरदन्त
छद्मस्थ
छाद्मस्थिक
छेदनक
जघन्य
जघन्यपद
जघन्यस्थिति
जातिपंचक
जीवभेद
जीवविपाकित्व
जीवविपाकिनी प्रकृति / प्रकृतियां
जीवसमुदाहार
मोह
डायस्थिति
तिक्तरस / नामकर्म तिर्यग्गतिप्रायोग्य
तिर्यद्विक
तिर्यंचगति / नामकर्म तिर्यंचगत्यानुपूर्वी / नामकर्म
तिर्यंचद्विक
तिर्यंचत्रिक
तिर्यंचायु
तीर्थंकर / नामकर्म
तेजस्काय
तेजस्कायिक
तेजसकार्मणबंधन / नामकर्म
तैजसकार्मणसप्तक
तैजस- तैजसबंधन / नामकर्म तैजसवर्गणा
तैजसशरीर / नामकर्म तैजसशरीरप्रायोग्य
त्वक्
दलिक
दलिकनिक्षेप
दर्शनमोहनीय/वर्ग
दर्शनलब्धि
दर्शनावरणकर्म
दर्शनावरणचतुष्क
दर्शनावरणनवक
दर्शनावरणवर्ग
दर्शनावरणषट्क
दाता
दानान्तरायकर्म
दुर्भगनामकर्म
दुरभिगंध / नामकर्म
दुः स्वर / नामकर्म
देवगति / नामकर्म
देवगतिद्विक
देवगतित्रिक
देवगत्यानुपूर्वी/ नामकर्म
देवायु / कर्म देशघातित्व
देशघातिनी प्रकृति / प्रकृतियां
देशविरतगुणस्थान देशविरतद्विक
देशक्ष
द्वापरयुग्म
द्विगुणवृद्धिस्थान
द्विगुणहानिस्थान
द्विगुणित
द्विपरमाणुवर्गणा
द्विस्थानक
द्विस्थानगत
द्विसामयिक
द्वन्द्रियजाति / नामकर्म
ध्रुवबंधित्व
कर्मप्रकृति

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