Book Title: Karm Prakruti Part 01
Author(s): Shivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
Publisher: Ganesh Smruti Granthmala

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Page 344
________________ परिशिष्ट २९१ कर्मप्रकृति नाम उत्कृष्ट स्थिति उत्कृष्ट अबाधा जघन्य स्थिति जघन्य अबाधा अन्तर्मुहूर्त सातावेदनीय असातावेदनीय १५ को. को. सागरो. ३० , , , १५०० वर्ष ३००० , मिथ्यात्वमोहनीय ७० को. को. सागरो. ७००० वर्ष १२ मुहूर्त 3 सागर पल्यासंख्यभागहीन १ सागरोपम पल्यासंख्यभागहीन ९ सागरो. पल्यासंख्यभागहीन २. मास ४० को. को. सागरो. ४००० वर्ष अनन्तानुबंधी आदि आद्य १२ कषाय संज्वलन क्रोध , मान , माया ,, लोभ स्त्रीवेद १५ को. को. सागरो. १ पक्ष अन्तर्मुहूर्त सागरोपम पल्यासंख्यभागहीन १५०० वर्ष नपुंसकवेद २०००, पुरुषवेद हास्य-रति १०००, शोक-अरति, भय-जगुप्सा २० कोडाकोडी सागरोपम २००० वर्ष ८ वर्ष उ सागरोपम पल्यासंख्य- ... भागहीन 3 सागरोपम पल्यासंख्यभागहीन १०००० वर्ष क्षुल्लकभव (२५६ आवली) नरकायु तिर्यंचायु ३३ सागरोपम ३ पल्योपम पूर्वकोटि वर्ष व (२५६ " मनुष्यायु देवायु नरकगति-आनुपूर्वी ३३ सागरोपम २० को. को. सागरो. २००० वर्ष अन्तर्मुहूर्त १०००० वर्ष २८५४ सागरोपम पल्या- संख्यभागहीन 3 सागरोपम पल्यासंख्य- . भागहीन तिर्चयगति-आनुपूर्वी , मनुष्यगति , देवगति , १५०० वर्ष १००० वर्ष २८५४ सागरोपम पल्या

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