Book Title: Karm Prakruti Part 01
Author(s): Shivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
Publisher: Ganesh Smruti Granthmala

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Page 330
________________ परिशिष्ट ६१ का उत्कृष्ट अनुभाग अनन्तगुण उससे का जघन्य अनु. अनंतगुण उससे -५१ " -५२ , " -६७ -६८ ___ अवशिष्ट कण्डक " स्पष्टीकरण गाथा ६७ के अनुसार १. परावर्तमान अशुभ प्रकृतियों की जघन्य स्थिति का जघन्य अनुभाग सर्वस्तोक (अल्प) है। जिसे प्रारूप में २१ के अंक से बतलाया है। इसी प्रकार द्वितीय, तृतीय, यावत् सागरोपमशतपृथक्त्व प्रमाण तक सर्वस्तोक जानना। जिसे प्रारूप में २१ के अंक से लेकर ५० के अंक पर्यन्त बताया है। २. उसके बाद उपरितन स्थिति में जघन्य अनुभाग अनन्तगुणा है। इसी प्रकार आगे की द्वितीय आदि स्थितियों में कण्डक के असंख्येय भाग तक अनन्तगुणा कहना चाहिये। असत्कल्पना से कण्डक का संख्याप्रमाण १० अंक समझना चाहिये और उसका असंख्यातवां भाग ७ अंक, जिसे प्रारूप में ५१ से ५७ वक के अंक द्वारा बतलाया है तथा 'एकोऽवतिष्ठते' से तीन अंक (५८,५९,६०) लिये हैं।

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