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परिशिष्ट
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१३. लोक का घनाकार समीकरण करने की विधि
__ जैनसिद्धान्त में लोक का आकार कटि पर दोनों हाथ रखकर और पैरों को फैलाकर खड़े हुए मनुष्य के समान बतलाया है। वह आकार इस प्रकार का होगा
१शन
/शारा
५राजू
इसके नीचे का भाग (आधारभूमि) पूर्व-पश्चिम सात राजू चौड़ा है। फिर दोनों ओर से घटते-घटते सात राजू की ऊंचाई पर एक राजू चौड़ा है। पुनः साढ़े तीन राजू पर दोनों ओर से बढ़ते-बढ़ते साढ़े दस राजू की ऊंचाई पर पांच राजू चौड़ा है, फिर दोनों ओर से घटते-घटते साढ़े तीन राजू जाकर अर्थात् चौदह राजू की ऊंचाई पर एक राजू चौड़ा है। इस प्रकार पूर्व-पश्चिम में घटता-बढ़ता है। सर्वत्र सात राजू मोटाई है और ऊंचाई चौदह राजू है। यदि इसकी चौड़ाई, मोटाई और ऊंचाई का बुद्धि के द्वारा समीकरण किया जाये तो वह सात राजू के घन के बराबर होता है।
राजू
समीकरण करने की विधि इस प्रकार है-.
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अधोलोक के नीचे का विस्तार सात राज है और दोनों ओर से घटते-घटते सात राजू की ऊंचाई पर मध्यलोक के सि वह एक राजू प्रमाण रहता है। इस अधोलोक की ऊंचाई के ठीक बीच में इसके दो भाग किये जायें, तब इनका आकार इस प्रकार होगा
१राजू
राजू
6राजू
८.श
फिर इन दोनों भागों को उलटकर बराबर रखा जाये तो उनका विस्तार नीचे की ओर और ऊपर की ओर भी चार-चार राजू होता है किन्तु ऊंचाई सर्वत्र सात राज़ ही रहती है। तब उसका आकार इस प्रकार होगा
७राजू
(चित्र आगे के पृष्ठ पर देखिये).
३॥ राजू
३॥राज्