Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(१७) थाकस बाजी रे, बेन राजा राजी रे, न रहे गज वा जीजाव्या केम किये रे॥गकुरब पुकारे रे, बाप बिरुद संजारे रे, बाज जय ते तुम्हारे नुजें पामीयें रे॥११॥ जाजरा सुससीधा रे,गंगोदक पीधां रेनला नोजन कीधां ताजां चूरमां रे॥राणीरा जाया रे,याम्हा साम्हा धाया रे, घणा अमल खवराया चडिया शूरमा रे॥१२ एक कायर कंपे रे, चिदंदिशि दल चंपे रे, मुख जंपे हाहा हवे कण दिशि नागशु रे॥शूरवीर त्राडुके रे,होंशे रण ढू के रे, मुख कूकें घाज जटापट लागणुं रे॥ १३ ॥सं ग्राम मंमाणो रे,नहीको तिसो शाणो रे,राय राणो सम जावे जेबिडं रायने रे॥हुती वात थोडी रे,थई क्वेशनी को डी रे,न शके को बोडी समजायने रे॥१॥सिंधुडे रागें रे, सुणि शूरिमा जागे रे, थति मीठी लागे ढाल ए सातमी रे ॥ समयसुंदर नांखे रे, दवे वढतां राखे रे, पदमावती पाखें कुण मति समी रे ॥१५॥ ॥ ढाल बातमी ॥राग आशावरी सिंधूडो ॥
॥चेत चेतन करी॥ ए देशी ॥ ॥ युछ सुण्यु पदमावती रे, गुरुणी पूछे विचार ॥ थावी तिहां उतावली रे,दा मत होये संहारो रे॥१॥ धन पदमावती रे,नांज्यो वयर विरोधो रे,लान घणो थ
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