Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 25
________________ (२५) ॥ ७॥ राजा ॥ रागवेलावल पेहली ढालें, बे बेथ र्थ विचारे रे माई ॥ समय सुंदर कहे समजी लेजो, केहजो सना मकार रे माई ॥ ॥ राजा ॥ ॥ ढाल बीजी ॥ राग गोडी ॥रामचंदके बाग, चा __पो मोहोरी रह्यो री॥ ए देशी॥ ॥ एक दिवस जयराय,पनणे दूत नणी री॥कहे थधिकाइ काय, मोथी थवर तणी ॥१॥चित्र सना अतिचंग, राजन नही ताहरे री॥ अधिकारी बोलाय, राजा दुकम करें री॥२॥ तुरत बोलाया उम, धरती रंग खणीरी॥ वेगें म लावो वार, राजा चोप घणारी ॥३॥ यतः । रायाणं वयणाणं,देवाणं मणसाणं,सेवा एं गरथाएं,पामराणं जाणं॥१॥ढाल॥खणतां पांच मे दीद,दीठो मुकुट नलोरी ॥ सर्वरत्नमय सार,तेज प्रताप निलो री ॥५॥ दोडयो वधाई दीध, राजा जय हरख्यो री॥ नृप थाव्यो तिणे गए, निज नयणें निरख्यो री ॥ ६॥ वायां वाजिन तूर,बाहेर मुकुट लीयो री॥ दीधुं श्रति बहु मान,जिणे ते प्रगट कीयो री॥७॥ थोडे दिन ततकाल, चित्रसना नोपनीरी॥ अनुपम थचरिजनूत, इंसना फिपनी री॥७॥ शु जमुहूर्त शुभ योग, तासु प्रतिष्ठा करी री॥ उत्सवकी Jain Educationa Intemational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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