Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(१००) ग्रही ॥गु०॥ तेम केवल वर नाण ॥४॥सा०॥ ढाल सुतां बातमी ॥२०॥ त्रूटे कर्मनी कोडी ॥सा॥ च रण नमे चिढुंसाधना ॥गुणासमयसुंदर कर जोडि २५ ॥ ढाल नवमी ॥ षन प्रनु पूजीयें ॥ए देशी ॥
॥ करकंमु उमुह नमी ए,निग्गई नामें प्रसिद॥मा हामुनि गाईयें ए॥चिहुँ खंमें करी वर्णव्या ए, चारेप्र त्येक बु॥१॥महामुनि गायेंए॥ गातां परमानंद मु क्तिमुख पायें एमाहा॥ए बांकणी॥ चारे चनगति दुःख हरे ए, तारण तरण समरथ माहा॥ नाम ज पंतांजेहन ए,जनम दुये सुकयउ॥॥माहा॥ सोल शें बासठने समे ए,जेठ पूनम दिन सार|माहा॥चोथो खमपूरो थयो ए,श्रीघागरा नगर मजार ॥शामाहा॥ विमलनाथ सुपसानले ए,सान्निध्य कुशल सूरींद॥मा हा॥ चारे खंम पूरा थयाए, पाम्यो परमाणंद ॥ ४ ॥ माहा ॥ देश परदेशे दीपता ए, नागड गोत्र शृंगार ॥मादा० ॥ श्रीसंघनार धुरंधरा ए, उदयवंत परिवार यामाहा॥ सूरूशाह गुणें जला ए, संघनायक सुवि चार ॥मा॥ तेह तणे आग्रह करीए, कोधो ग्रंथ थ पार ॥६॥मादा॥ श्रीखरतर गह राजियो ए,युग प्रधा नजिन चंद मा॥श्री जिनसंघसूरीसरु ए,नएतांथ
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