Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 1
________________ श्री वीतरागाय नमः अथ ॥श्री समयसंदरजी नपाध्याय कृत करकंत्रा दिक चार प्रत्येकबुधनो रास प्रारंनः॥ ॥दोहा॥ ॥ श्रीसिदारथ कुलतिलो, महावीर नगवंत ॥ व र्तमान तीरथ धणी, प्राणमुं श्रीअरिहंत ॥ १ ॥ तसु गणधर गौतम नमुं, लब्धि तणो नंमार ॥ काम धेनु मुरतरु मणि, वारु नाम विचार ॥२॥ वीणा पुस्त क धारिणी,समरुं सरसती माय ॥ मूरखने पंमित क रे, कालिदास कहेवाय ॥३॥ प्रगमुं गुरु माता पि ता, शानदृष्टि दातार ॥ कीडीथी कुंजर करे, ए महो श्रो उपकार ॥ ॥ गारुडी फणीथी मणि ग्रहे, ते जिम मंत्र प्रनाव ॥तिम महिमा मुज गुरु तो, मति मूढ स्वनाव ॥ ५ ॥ मुजने सुमतें जागव्यो,मत कठ रे मत ॥ गुण वर्णव गिरुया तणा, हुं तुज प्र रोश पूंठ ॥६॥ तेणें मुज उद्यम ऊपन्यो, पंखीने जि म पंख ॥ एक लान वली कहे सुमति, दूध नस्यो जि Jain Educationa Interational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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