Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 7
________________ नी, बोल्या मृषा वाद ॥ दोष अदत्तादानना, मैथुन नन्मादं ॥ ते मुज० ॥ ७ ॥ परिग्रह मेल्यो कारिमो, कीधो क्रोध विशेष ॥ मान माया लोन में कीया.वली राग ने देष ॥ ते मुज॥ ॥ कलह करी जीव दह व्या, दीधा कूडा कलंक॥ निंदा कीधीपारकी,रति अर ति निःशंक ॥ते मुजाए। चाडी कीधी चोतरे,कीयो थापण मोसो॥ कुगुरु कुदेव कुधर्मनो, नतो आल्यो नरोंसो॥ ते मुज०॥ १०॥ खाटकीने नवें में किया, जीव नानाविध घात ॥ चडीमार नवें चरकलां,माखां दिन रात ॥ ते मुज०॥ ११ ॥ माजीगर नवें माउलां, जाल्यां जलवास ॥धीवर नील कोली नवें, मृग पा ड्या पास ॥ ते मुज ॥ १३॥ काजी मुनाने नवें, पढी मंत्र कठोर ॥ जीव अनेक जप्ने किया,कीधां पा प अघोर ॥ ते मुज० ॥ १३ ॥ कोटवालना नवें में किया,आकरा कर दंग ॥ बंदीवान मरावीया, कोरडा बडी दंम ॥ ते मुज० ॥ १४ ॥ परमाधर्मी ने नवें, दीधा नारकी सुख ॥ दन नेदन वेदना,ताडना थ तितिरक ॥ते मुज०॥१५॥ कुंजारने नवें जे किया, नी माह पचाव्या॥ तेली नवें तिल पीलिया, पापें पेट जराव्यां ॥ते मुज० ॥१६॥हालीने नवें हल खेडीयां, Jain Educationa interational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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