Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 23
________________ (१३) संवत सोल चोश वली, मास फागुण सार ॥ ए प्रथ म खंम पूरो थयो,सिदि योग ने बुधवार रे ॥तिदिन ॥ ६ ॥ मुनि ॥ प्रथम शिष्य श्रीपूज्यना, गणि सक लचंद मुणिंद ॥ ते सुगुरुने सुपसाउलें,मुज सदा सुख थानंद ॥मुज॥७॥मुनिए ढाल में दशमी नणी, धन्याश्री ए राग ॥ गणि समयसुंदर एम नणे,श्रीसंघ मुजश सौनाग ॥ श्रो० ॥७॥ मुनिः॥ इति श्री करकंकु नाम्नः प्रथमप्रत्येक बुद्धस्य रासे प्रथमः खंमः संपूर्णः अथ ॥ उमुह नाम्नो दितीय प्रत्येकबुवस्यारसे ॥ ॥क्तिीयः खंमः प्रारन्यते ॥ ॥दोहा ॥ ॥ ब्राह्मी लिपी प्रणमुं वली, अक्षर रूप विचार ॥ जगवती सूत्र धुरेंजए, श्रीसोहम गराधार ॥१॥5 मह नामें राजा नलो,बीजो प्रत्येक बुझ॥ तस बीजो खं बोला, मीठो मिश्री दूध ॥२॥ सावधान थ सांनलो, मूको कच पच वात ॥काच तणी कटकी त जी, सहुको पीये निवात ॥३॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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