Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 65
________________ (६५) तज्यु ततकाल ॥ त०॥॥रे हो क० ॥ हो वडवडा वैद्य बोलाविया ॥बो॥रे हो पूज्या बेहु कर जोडो॥ हो लालच लोन देखाडीयो।दे ॥रे हो देयं कनक नीकोडी।क०॥३॥रे हो क० ॥ हो औषध नैषज तुम्हें करो ॥ तु० ॥रे हो करो कोइ दाय उपाय ।। हो वैद्यकला कोई केलवोको॥ रे हो जेणे करी दा घज्वर जाय ॥0॥४॥रे हो क० ॥ हो वैद्य कहे राजन सुणी ॥रा०॥रे हो धम्हें न साधु नर थाय॥ हो पण एक तपति उपाय २ ॥०॥ रे हो बावना चंदन लाय ॥ बा० ॥ ५॥ रे हो क० ॥ हो सह सने अाअंतेरी॥०॥रेहो दीठो दाघज्वर ताप। हो को केहनी नलीये वेदना ॥ वे ॥रे हो वनिता करे विलाप ॥वि०॥६॥रे हो क॥ हो अांखे बिहुँ आंसू रे ॥०॥ रे हो कनीप्रीतम पास ॥ हो स्नान मऊन नोजन तज्या।।नो० ॥रे हो अब साथ रे उदास ॥१०॥ ७ ॥रे हो क० ॥ हो घसी घसी चंदन बावना ॥बा०॥ रे हो नरीनरी कनक क चोल ॥क० ॥ हो नारि विलेपन तनु घसे ॥ त०॥रे हो ण ण करे वली खोल ॥ खो० ॥ ॥रे हो क० ॥ हो खलके चूडी सोना तणी॥ सो० ॥ रे हो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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