Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 76
________________ न्यका, एकाकी केम ॥ घटवीमाहे रही इहां, नव यौवन प्रेम॥ २०॥ कहे कन्या नूपति नणी, विनति अवधार ॥ पहेलो परण तुं मुऊने,पनी कहीश विचा र॥१॥राज ॥लडी थने नोजन जला, साहेब बगलीस ॥ नवि तेलीजें धावतां, ए विश्वावीश ॥ ॥ २२॥राज ॥ एम राजा मनें चिंतवी, देहरामोहे जाय ॥ जिनप्रतिमा पूजा करी, प्रणमे प्रनुपाय ॥ ॥ २३ ॥राज ॥ ते कन्या परणी तिहां, गंधर्व विवा ह॥ रातें सूता रतिरंगगुं, बेदु घरमांह ॥२॥रा० ॥ तीप्रनातें बे जणांवली देव जूदार ॥ बेठगे राय सिं दासने, अर्धे निज नारि ॥ २५॥ राजा॥ पेहली डाल पूरी थई, परणी अज्ञात ॥ समयसुंदर कहे हवे सुणो, कुमरीनी वात ॥ २६ ॥ राज॥ ॥दोहा॥ नारी कहे प्रीतम मुणो, मुफ संबंध समूल ॥ नरत क्षेत्रमांहि नगर, क्षत्री प्रतिष्ठ अनुकूल ॥१॥ एकदिन राजाने दुउ, सना चितरवा राग ॥ सकल चित्तारा तेडीया, वैहेंची ये दश नाग ॥२॥ चित्रां गद एक चित्रकर, निर्धन वृक्ष शरीर ॥ चित्र सजा नित्य चितरे, पण मनमां दिलगीर ॥३॥ Jain Educationa Intemational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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