Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 85
________________ (५) ॥४५॥ मो० ॥ चालतो दुतो लानने, ते पण न चाल्यो गाम ॥ नही कहुं अब निश्चे तो, जपवू नगवंत नाम ॥ ४६॥ मो० ॥ अग्यारमे दिन वारो दियो, राणी कहे ते आमाशेलडीने जेम फल नहीं तेम तस निःफल काम ॥४७॥ मो॥ सुण नारी ए क चतुर हता,निशि चडी गृह उत्तंग ॥ सिंह रूप ल ख्युं तिहां, कहे कारण कुण चंग ॥ ४ ॥ मो०॥ ए मर्म कहे मुज स्वामिनी,मुज न उपजे मास॥याज जीव नूख्यो कलमले, व्रत कीधो उपवास ॥ ४ए ॥ मो० ॥ बारमे दिन राणी कहे, विरहिणी ए अनिता य॥सिंह देखि मृगवाहन त्रसे, तो वेगें राती जाय ॥ ॥ ५० ॥ मो॥सुण नारी एक नची चडी, वीण व जाडे केम॥पण आजे दुं कदिा नहीं, पिनशुं खेल ण प्रेम ॥ ५१ ॥ मो० ॥ तेरमे दिन वारो दियो, य ति रसिक ते राजानाते नेद पटराणी कहे, मदनिका सुण सावधान ॥ ५॥ मो॥चंइमा वाहन मिरग लो, नारीने पियुयुं नेह।जो नाद वेध्यो नवि चले,तो वाधे निशि एह ॥ ५३॥मो०॥ एम नव नवी अचरि ज कथा,निशि कहे नित्य न मास ॥चीतारीयें चित्तरं जीयो, प्रीतम पाडयो पास ॥ ५० ॥ मो॥ परहरी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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