Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 94
________________ (ए ) ॥ ढाल बही॥सीमंधर सोनलो॥ ए देशी॥ ॥अन्य दिवस राय नीसखो, हय गय रथ परिवा र॥ मारग मांहि देखीयो,अति सुंदर सहकार ॥१॥ थिर आ संपदा, अथिर कुटुंब परिवार निग्गई नृप एम चिंतवे,अथिर सयल संसार ॥ ३ ॥ अथिर० ॥ ए आंकणी ॥ लागी मांजर महकती,लागी यांबाबु बकोयल करे टदुकडा, रह्या मधुकर रस चूंब ॥३॥ अथिर० ॥राजायें एक मांजर ग्रही, नीसरते निज हा थाएक एक फल फूल मंजरी,तेम ग्रही सघले साथ। ॥४॥ अथिर० ॥ काष्ठनत यांबो कीयो, फल फूल मांजर त्रोडिाशोना सघली कारिमी, एहज मोटी खो डि ॥५॥ अथिर० ॥ वलते राजा पूजीयुं, कहो ते कि हां सहकार ॥ देखाडियुं अंग उलगु, सूको काष्ठ थ सार ॥६॥थथिर ॥यांबो केम थयो एहवो, वली पूज्युं तिण नूपातें मांजर ग्रही तेहनी, सैन्य कीयो ए सरूप ॥ ७ ॥ अथि॥ ए स्वरूप आंबा तां, देखी चिंते राय ॥ हा हा अथिर शोना इसी, एमांहे खे रु थाय ॥ ७ ॥ अथिर० ॥ अथिर माणसनुं पान खु, मान अणी जेम उसाअथिरराज दिसंपदा,न त्तम न करे शोष ॥ ए ॥ अथिर० ॥ अथिर जोबन Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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