Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 86
________________ (७६) बीजी पद्मिनी,वश कस्यो नवली नार ॥ ते चतुरनारी कला खरी, जे वश करें जरतार ॥ ५५ ॥ मो॥य ति चतुर चीतारी रमे,आपणा पियुने संग ॥ ए ढाल सुणतां तीसरी,समय सुंदर मनरंग ॥ ५६ ॥ मो० ॥ ॥दोहा॥ ॥शोक्य मलीहवे तेहनी,बोले नावे तेम॥षण ख थदेखाई करे, वली मन चिंते एम॥१॥णे चौतारी वश कियो, अहो अम्हारो नाह॥ श्रम्ह साहमुं देखे नहीं, कहो अब कीजे काह ॥ २॥रा जकाज गेडीकरी,बोडी नारि कुलीन॥चीतारानी पु त्रिका, तिमशुं राजा लीन ॥३॥ देखी बल बिश्ते दनु,जो कोइ घाले घात ॥ कंत तणुं चित्त फेरवी, तो बंध बेसे वात ॥४॥ ॥ ढाल चोथी ॥ पूरोने सोहागण रूडो साथीयो जी॥ ए देशी॥ ॥ हवे ते चौतारी नारी दिन प्रतें जी,बावी म ध्यान्ह आवास ॥ रडामांहे बेसी करीजी, एकली को नहीं पास ॥१॥ करे रे चीतारी निंदा था पणी जी, जीवने ये उपदेश ॥ पुण्य पसायें पामी सं पदा जी, मत थनिमान करेश ॥२॥ करे॥राय तुजातपूरा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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