Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 89
________________ ( ए) एहवी शदि पामी करीजी, गर्व करे नहीं मन्न ॥ २० ॥ करे० ॥ अधम अंतेनर माहरीजी, एहने दूषण देशाशोक्यने उर्जन सारिखा जी, गुण तजीथ वगुण ले ॥ २१ ॥ करे॥ अहो अहो एहनी चातु रीजी,धहो यहो धर्म यतन।नत्तम एह अंतेनरीजी, राणीमांहे रतन ॥ २२ ॥ करे ॥ रायन मन्न प्रस न थयुंजी, चीतारी करी पटराणी ॥ अवर अंतेनरी अवगुणीजी, पुण्य तणां फल जाणी॥ २३ ॥करे॥ चोथी ढाल पूरी थईजी,चतुर चीतारी चरित्रासमयसुं दर कहे हवे सुणोजी,धर्मनी वात विचित्र ॥२॥०॥ ॥दोहा॥ ॥ विमलचंड एणे अवसरे, याचारज पदधार ॥ अनुक्रमें थाव्या विहरता, साधु तणे परिवार ॥ १ ॥ जितशत्र राजा यावीयो, साथ ले पटराणी ॥ पदपं कज प्रण्मी करी,सुगी साधुनी वाणी॥॥राजाने राणी बेदु, लीधो श्रावक धर्मादान शियल तप नाव ना, सदा करे शुनकर्म ॥ ३॥ अंतकालें ते एकदा,थ सण करी अपारापटराणी राजा तणी,पोहोती व गे मजार ॥४॥तिहाथी चवी वैताढ्य गिरि, तोर एपुर अनिधान ॥ विद्याधर दृढशक्तिनी,पुत्री थई पर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104