Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 82
________________ (७२) मो॥तेणें चोथे दिन वारो दीयो,कुण हेतु एहनो हो य॥ चितारी कहे सुण सखी,रातंधो हतो सोय ॥१७॥ मो॥ सुणि वात एक सोहामणी,गुरु लह्या लाडुंचा र ॥एक प्रथम चेलाने दीयो,बीजो बीजाने सार ॥१७ मोतिसरोचोथाने दीयो,एक था कियो नद॥क हे तुरत जो चतुर ने, तेहना केता शिष्य ॥ १५ ॥ मो०॥ कर जोडी स्वामिनी विनवू, ए नेद मुफ सम जाय ॥खाधी खटाइअति घणी, नयणे निंद नराय ॥ २० ॥मो० ॥ पांचमे दिन वारो दीयो,राणी जग, यनिराम ॥ तेहनें चेला त्रण हता, चोथु त्रीजानु नाम ॥ १ ॥ मो॥ कहे राणी सुण रे सखी, उत्तं ग मंझप एक ॥ तस ऊपर नीचे रहे,उत्तम पंखी अने क ॥ २२ ॥ मो० ॥ एक ऊपर नीचे मले, तो ते बेन सरिखां होय ॥ नीचलुं एक उपर मले,तो ते बमणां जोय ॥ २३ ॥ मो० ॥ कहे सखी ते केतां दुता,पंखीयां तेणें प्रासाद ॥ हूं मूढमति जाणुं नही, कहे मुंज करीय प्रसाद ॥२४॥ मो॥ मुफ उघ या वे अति घणी,दिन रमी पासा सार। जो चतुर ने तो थावजे, काले कहिा विचार ॥ २५॥ मो० ॥ वली के दिन वारो दीयो,राय चित्त लागी चूंप ॥अब कहे Jain Educationa Intemational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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