Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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ता जेणें जनमीयो, एहवो पुत्र रतन ॥ ६ ॥६॥ ढुं बलिदारी कृषि ताहरी, तुज सम थवर न कोय ॥ चडते परिणामें चडपो, सोने श्याम न होय ॥ ७॥ इं॥तुं धन तुं कतारथ थयो,सफल कीयो अवतार॥ राज्य रमणी सवि परिहरी, लोधो संजम जार ॥॥ इं० ॥ एम प्रशंसा करतो थको, देय प्रदक्षिणा तीन ॥ वली वली करे पग वंदना. नावनक्ति अति लीन ॥ ए॥६६०॥ गुन लक्षण पद साधुना, प्रण मी परम उन्नास ॥ चपल कुंमल शिर सेहरो, इंग यो आकाश ॥१०॥ इं० । शोलमी ढाल सोहाम णी, इंश परीक्षा जाण ॥ समयसुंदर कहे सांजव्यां, जीवित जनम प्रमाण ॥ ११ ॥ ३०॥
॥ ढाल सत्तरमी॥ धन्याश्री रागमां ॥ . ___बंति वाजे हो वीणा ॥ए देशी ॥ ॥ मुनिवर पाय नमुं पाय नमुं,नमिराजा कृषि राय ॥मुनि॥ एषांकणी॥नमि राजा संजम ली॥०॥ चढते मन परिणाम ॥ मु०॥ चोथे खंग चिद्वं साध ना॥ चि॥गुण गाइश अनिराम ॥१॥मु०॥ इंश प्रशंसा एम सुणी॥ एम०॥ कीधो नहीं अहंकार ॥ ।मु०॥त्रीजो प्रत्येक बुद्ध ए॥बु० ॥ क्रमें कमें
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