Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 63
________________ डावी, मेघामंबर बत्र धरी॥हा॥हय गय रथ पायक दल मेली, राजा चाल्यो कटक करीहां ॥ ॥ चंइज सा पण नमिागम सुणी, सैन्य लेई साहमो चाल्यो ॥हा॥ नगरथको बाहिर नीसरतो, प्रथमथी अपरा कुने पाल्यो । हां० ॥ ॥ मंत्रि प्रधान वचन सुणी राजा, पोल जडी पुरमांद रह्यो ।। हां० ॥नगर वींटीप ड्यो चिढं दिशि परदल, नाली गोला वहे गढ विग्रह्यो ॥ हां०॥ १० ॥ सुव्रता साधवी सुणी मनचिंतवे, हा मत मनुष्यनो क्य होई ॥ हां० ॥ बांधव बेदु माहो माहे फूजी, जाये मत पुर्गति कोई॥हा॥११॥ गुरु पीने पूबी करी सुव्रता,प्रथम गई नमिनी पासें ॥हा॥ पदपंकज प्रण्मी करी पूब्युं, केम थाव्यां कहो नृपवासें ॥ हां ॥ १२॥ सुण राजान विषय विष सरीखा,कारिमीझदिने राज तेहा॥हा॥तेहने काजें सं ग्राम तें मांगयो, थापणा बंधव साथें एद ॥ हां० ॥ ॥१३॥ कहे बांधव केम ते मुज होई, साधवी नंद कह्यो सघलो ॥ दो० ॥ अतिथनिमानी ते नमिरा जा,मिलए न जाये ते सबलो ॥ हां ॥ १४ ॥ बारि दिशि पयठी पुरमाहे,राजमंदिर थांगण थाई॥हा॥ दीनी चंइजसा थावंती, चरण कमल प्रणम्या धाई Jain Educationa Interational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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