Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(६२) ॥ ढाल तेरमी ॥ योगणानी देशी॥ ॥ एकदिन नमि राजानो हाथी,लूटो अतिमद मस्त थकोंहारेमदम०॥थालान थंन नखेडी नाख्यो, मारे माणस देई धको॥हांदे०॥ ए बांकणी॥१॥जाय लोक दिशो दिशि नागां, बीहितां पेट पडे घ्रसको ॥ हां० ॥ सांकल त्रोडे रुखने मोडे, को तेहने जा लीन सको रे॥शाहांग॥ विंध्याचल घटवीनणीजा तो, नगर सुदर्शन सीम रह्यो ॥ हां ॥ चंजसा नृप सेवकें दोगे, थापणा नूपने थाय कह्यो ॥३॥ ॥हा॥ चंजसा नृप जाली थास्यो,बांध्यो गज दर बार रह्यो । हां० ॥ फरता दूत देखी मन हरखी,न मि राजा जणी जाय कह्यो ॥४॥ हां ॥ नमि राजा निजदूत मूकीने, चंजसा पासें गज मागे ॥ हा०॥ चंजसा पण सबलो राजा,कह्यो ते तेहने नविला गे॥५॥हां० ॥ वली कहे रतन लख्या नही नाम,जे सबलो ते नृप नोग||हां॥शूरने वीर तिके जग साचा, बल बल करी अरियण जोगवे ॥ हां० ॥ ६॥ दूतव चन मुणी नमि नृप कोप्यो, सिंह हकाखो केम खमे ॥ हां ॥ अष्ठापद गरिव सांसे, केम करिव र्षा काल समे॥ हां ॥ ७॥ तुरत प्रयाण नंना वज
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