Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 41
________________ (४१) करी, पडिलाने अणगारो रे॥६॥ शीयल ॥ मु ख पूनमनो जाणे चंदलो, मृगलोचन अणीयाल रे॥ नासिका दीपशिखा जेम दीपती, कोकिल कंठ रसाल रे ॥ ॥ शीयल ॥राजहंस जेम चाले मलपती,के सरीसम कटिलंक रे॥सरस वचन चतुराई गुण घणा, एक नही कोई वंक रे ॥॥शीयल॥ एक दिन दीवं मयणरेहा तणुं,एहQ सुंदर रूप रे ॥काम राग जेद्यो चित्त नीतरें, चिंतवे मणिरथ नूप रे॥णाशीयला मयारेहा गोरी मलवा नणी,करुं को दाय नपाय रे ॥ काम नोग इणशंजोगव्या विना, निःफल जमवा रो जाय रे ॥१०॥ शीयल ॥ मयणरेदाने मूके ने टणां,नला नलां फलने फूल रे॥चीर पटोली चरणाचू नडी, बाजरण यति बहुमूल रे ॥ ११ ॥ शीयल ॥ मयणरेहा लेइ सघ नेटपुं, जाणे जेठ प्रसाद रे॥ राजा जाणे मन मान्यु सही, लागो प्रीतिसवाद रें ॥१२॥शीयल० ॥प्रार्थना करी नृपें एकदा, सती रही दृढ चित्त रे ॥मयणरेहा मणिरथ राजा जणी,दि यो उपदेश पवित्त रे॥१३॥ शीयल ॥राजा मात पिता सरिखा कह्या, प्रजा तणा अाधार रे ॥ आप अन्याय करे जो एहवो,तो किहां कीजें पोकार रे॥१४॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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