Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 59
________________ (पए) ह॥ इं सामानिक सुर दुन, देवता हुँ एह ॥ ५ ॥ ॥ धर्म ॥धर्माचारज माहरे, मयरेदा जाणी॥पेह जी कीधी वंदना, उपगार प्रमाणी॥१०॥ धर्म० ॥जे हथी जिन धर्म पामीयो,नपकारी सोय ॥ धर्माचारज थापणो, तेहने ते होय ॥ ११॥धर्म ॥ तान थो क जिनशासने,कह्या प्रतिकार ॥ मात पिता शेठ ध मैनो, कीधो जेणे नपकार ॥१॥ धर्म ॥ विद्याधर मन चिंतवे,में जास्यो मर्मात्यां सुःख पामे जीवडो,न क रे ज्यां धर्म ॥१३ ॥ धर्म ॥ देव कहे सानल सती, तुं सामिणी मुज ॥ मयणरेदा तुं मुज प्रिये, कहे ते करूं तुज ॥ १३ ॥ धर्म० ॥ मुजने प्रिय सुख मो नां ते तें न देवाय ॥ पण एक वार तुं पुत्रनी,पासें ले ई जाय ॥ १५ ॥धर्म॥ थांखें पुत्र देखी करी, मन थापीश नामकाज समारीश थापणुं ढील नहा धर्म काम ॥१६॥धर्म॥ ढाल एह अग्यारमी, कह्यो परत पकार ॥ समय सुंदर कहे हवे कहूँ,बागल्यो अधिकार ॥ ॥ढाल बारमी। मरुदेव माताजी एम नणे ॥ ए देशी॥ ॥ मनहुँ रे कमायुं मलवा पुत्रने रे, मयणरेहा कहे एम रे ॥ सांनल सुरवच नारीनुं रे,पुत्र कपर ब Jain Educationa Interational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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