Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 58
________________ (५७) पहिला प्रणमी पाय ।। साधु नणी वांदे पड़ी, बेसे बागल प्राय ॥ ५॥ ॥ढाल अगीयारमी ॥रे जीव जिनधर्म कीजियें ॥ए देशी॥ ___॥ मणिप्रन विपरीत वंदना, देखी कहे एम ॥ तु फ सरिखा पण देवता, कहो नूले केम ॥ १॥ धर्म तणो नपकारडो, मोहोटो संसार ॥ परहित जाणी जिके करे, धन ते नर नारि ॥२॥ धर्माए अांकण राजनीति धर्म नीतिना, सुर कही जाण ॥ ते पण लोपे रीतिने, कोण चाले प्राण ॥ ३॥ धर्म०॥ सुण परमारथ सुर कहे, विद्याधर राय ॥ नगर सुदर्शननो धणी, मणिरथ कहेवाय ॥ ४ ॥ धर्म ॥ जुगबादु बंधव हतो, तेहने युवराज ॥ रमवा उद्याने गयो,स घलो तेइ साज ॥ ५ ॥ धर्म० ॥ मणिरथ नाई मा रोयो, वयराण संबंध ॥ खड़ प्रहार दीधो खरो, यो तमु खंध ॥ ६ ॥ धर्म ॥ कंठगत प्राण थाव्यां थका, निर्फराव्यो जेण॥काज समायां तेहनां,मयण रेहा एण ॥ ७ ॥ध ॥ धर्म मर्म समाजावीयो, मु काव्योक्रोध ॥थासण पण उच्चरावीयुं,दीधो प्रतिबो ध॥ ॥ धर्म॥ काल करी गयो पांचमे, देवलोकें ते Jain Educationa Interational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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