Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 40
________________ (४०) ता पोल प्राकार ॥ नली बाजार त्रिपोलिया,नला स कल प्रकार ॥ १७॥ नगर ॥ नगर सुद ना, ए पेहेली ढाल ॥ समय सुंदर कहे हवे कहुं, तिहां कोण नपाल ॥२७॥ नगर ॥ ॥ ढाल बीजी ॥ नयण सलूणी रे गोरी नागिला ॥ ए देशी॥ ॥ मणिरथ राजा राज करे तिहां,लघु बंधव युव राज रे। जुगबादु राजा घरे नारजा,करे अनोपम काज रे॥१॥ शीयल सुरंगी रे मयणरेहा सती ॥ ए बांक पी॥ रूपें रंजसमानो रे, विनय विवेक विचारे पागली,चनसह कला सुजाणो रे ॥२॥ शीयल॥ नाण विना विचक्षण गुणनिलो, चंजस पुत्र प्रधा न रे ॥ युगबादु राजानो अति घणो, मयणरेहाने मान रे ॥॥शीयल०॥ देव तो अरिहंत गुरु सूधा ज ति,केवली नाषित धर्म रे ॥ सूधो समकित पाले श्रा विका, नांजे मिथ्यानम रे ॥ ४ ॥ शीयल ॥ जीव घजीव प्रमुख नव तत्त्वना, जाणे नेद विचार रे॥ पु एयवंत पाले अति निर्मलां, श्रावकनां व्रत बार रे ॥ ॥ ५॥ शीयल ॥ अशन पान खादिम स्वादिम व सी,फामुक गुरु थाहारो रे॥वस्त्र पात्र उषध जैषज्य Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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