Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 55
________________ (५५) सती, खमे मुफ अपराध रे ॥ बाजथी तुं बहेन माद री,बुजव्यो एणें साध रे ॥णामय॥ तुं कहे ते वली करूं कारज, बहेन दे श्रादेश रे ॥ सती कहे ते सर्व कीg, यात्रा पुस्य विशेष रे ॥१०॥मय०॥ सती शील रह्यं अखंमित, गयुं संकट दूर रे ॥ ढाल नवमी सम यसुंदर, नणे थाणंद पूर रे ॥ ११ ॥ मय० ॥ ॥दोहा॥ ॥ मयणरेहा मुनिवर नणी, पूजे प्रणमी पाय ॥ वात कहो मुफ सुत तणी, नगवन् करो पसाय ॥१॥ कहे मुनिवर सुण श्राविका, पूरव नव विरतंत ॥जेम तुज अंगज अवतस्यो, तिम हुँ कहिशुं तंत ॥ २॥ ॥ ढाल दशमी ॥ तिमिरी पासें वडखंगाम ॥ चोपाई॥ ___॥ जंबुदीप पूर्व सुविदेह, पुखलावती विजय गु गेह ॥ तिहां मणितोरण नगर उदार, गढ मढ मं दिर पोल प्रकार ॥ १ ॥ चक्रवर्ति पदवी नोगवे राय, अमितजसा नामें केहेवाय ॥ तमु घर पुष्पवती पट राणी, अनुत रूप जाणे इंझणी॥॥ तेहने पुत्र बे पुण्य प्रमाण, पुष्पसिंह रत्नसिंह चतुर सुजाण ॥ चरा शीपूरव लख राज, पाली सास्यां धातम काज ॥३॥ चारण श्रमण यतिनी पास,दीदा सीधी मन ठल्हा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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