Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 31
________________ ( ३१ ) कीया लाख बे रथ लीया, साथ में चंमप्रद्योत राजा ॥ ११ ॥ च० ॥ चालीया कटक जाणे चक्रवर्त्तिका, धू सरी धूल कडे गगन लागी । समुड्जल कबल्यां शेष पण सलसल्या, गुहर गोपीनाथकी निंद जागी ॥१२॥ च० ॥ इंडने चंद नागें पण खलनल्या, लंक गढ पोलि तालां नडायां ॥ सबल सीमाल नपाल नागी गया, चंमप्रद्योत राजान खाया ॥ १३ ॥ च० ॥ यावी यो चंमप्रद्योत उतावलो, देश पंचालनी सीममांहे ॥ मुह राजा पण देई दमामां चड्यो, थावी साहमो अड्यो मन बाहें ॥ १४ ॥ च० ॥ फोज फोजें म ली जाट नट कबली, सबल संग्राम नारथ मंमाणो ॥ नडें नड मल्या नूपनूपें नडघा, सुनट सुनटें घडघा दें खी टाणो ॥ १५ ॥ च० ॥ मुकुट परजावें राजान जीं त्यो डुमुह, कटकमां प्रगट जस पडद वागो ॥ काढ लंपट सदा कूड कपटी तदा, चंमप्रद्योत राजान ना गो ॥ १६ ॥ च० ॥ नासतो नाजतो चंमप्रद्योत नृप, जालि करी बेडीयामहे दीधो || कटक नाजी दशो दिशि गयुं तेहनुं, धर्म जय पाप दय वचन सोधो ॥ १७ ॥ च० ॥ डुमुह राजान थायो घेर छापणे, कहे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104