Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(३०) दोय मदवारि जरता ॥४॥च०॥ अथ अश्ववर्णन। देश काश्मीर कंबोज काबुल तणा, खेत्र खुरसाण सू धा खरंगा ॥ अवल उत्तर पवन पाणी पंथा वली, न लजला कही तेजी तुरंगा ॥ ५॥०॥ नीलडा पी लडा सबल कंबोजना, रातडा रंग कविता किहाडा॥ किरडीया काजूषा धूसरा दूसरा, हांसिला वंसिला नांग जाडा ॥ ६ ॥ च०॥ पवन वेग पाखस्या फोज बागल धस्या, चालता जाणे चित्राम लेख्या॥ एहवा थश्व उजेण। राजातणे, कटकमें लाख पंचास सं ख्या ॥ ७॥च॥अथ पायक वर्णन ॥ शिर धरे यां कडा बांहे पेहेरी कडां, नाजनी परतना बोलवा ला ॥ एकथी एकडा कटक बागल खडा, शूरवीर वां कडा सुजट पाला॥ ७॥च०॥सबल कांधाल मूबाल जिनसालिया, लोह मथ टोप आटोप धारा॥ पंच ह थीयार हाथे ने बाथे नडि,नीमसम वड नता पालि द्वारा ॥ एच०॥ तीर तरकस धरा अनंग नट याक रा, सहस जोधार संग्राम शूरा ॥ चंमप्रद्योत राजा तणे एहवा, सात कोडि साथ पायक पूरा॥१०॥ च०॥अथ रथ वर्णन ॥ निज निज नाम नेजा धजा फरहरे, घरहरे घोर नीशाण वाजा ॥ जरह जोशाण
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