Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 20
________________ (२०) डो याशा मली रे, पुण्य तणां फल एह, बाठमी ढाल रसाल रे, समय सुंदर कहे एहो रे ॥१॥धन॥ ॥दोहा॥ ___॥ दवे करकंफु रायने, गोकुलगुं बहु प्रेम ॥ एक दिन चाल्यो देखवा, कहेवा लाग्यो एम ॥१॥ सुण गोकुल ए वाबडो,वर्ण सपेत सशु६॥ एहनी मार्नु ए हने, धवरावे तुं दूध ॥२॥ वली ए जब मोटो हुवे, त व बीजी पण गाय॥ दोहीने दूध पायजे, जिम ए मा तो थाय ॥३॥ एम कही नृप पाडो बल्यो, गोकुलें कीधु तेमाषन युवान थयो सबल,राख्यो न रहे केम ॥४॥ तीखां शिंग मुकुंमला,नंचो कुंनी थून ॥ गल कंबल जा डो सबल, जाग जोईएं मन ॥५॥मारे ठोसे मलपतो, निर्बल वृषनने नित्य ॥ उंचुंपून नलालतो,त्राडुके मय मत्त ॥६॥ एक दिन वली नृप देखीयो, सुंदर मातो सं म॥राजाने अचरिज थयुं, ऐ ऐ बलद प्रचं ॥ ७ ॥ ॥ ढाल नवमी ॥ राग टोडी धन्याश्री॥ मुनीसर अतिथि नलो ए कोय ॥ ए देशी॥ ॥वली करकं यावीयोजी,गोकुल देखण देत॥पूज्यो राजा गोकुलीजी, बलवंत बलद ते केत रे॥१॥ जी वडा, ए संसार असार ॥ करकंम् एम चिंतवे जी, सा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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