Book Title: Karkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 4
________________ ( ४ ) जोगवे || गोडीरागें पहेली ढाल, समयसुंदर कहे व चन रसाल ॥ १५ ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ एक दिन मोहोलो उपन्यो, गर्जतणे परनाव ॥ दिन दिन थाये दूबली, राणी तेणे प्रस्ताव ॥ १ ॥ दधि वाहन पूबे प्रिया, कहे कोण कारण एह ॥ तुं कां दी से दूबली, सुण प्रीतम ससनेह ॥ २ ॥ हूं पेरूं वेश ताहरो, तुं वत्र धारे शीश ॥ गज चढी वनमांहे नमुं, सुज मन एह जगोश ॥ ३ ॥ कहे राजा चिंता मकर, कर एह प्रकार || सोहागणी साची तिका, जेहनें वेश जरतार ॥ ४ ॥ ॥ ढाल बीजी ॥ राग मारुणी ॥ पदरी ॥ राणी वेश करी राजानो, गज चढी हर्ष पा रजी ॥ राजा बत्र धरे राणीने, पूंठें बहु परिवारजी ॥ १ ॥ कोइ राखो रे कोइ शूर सुनटने नांखो रे, कोइ काय उपाय मुज दाखो रे ॥ मुनें हाथी जाय, दयाल कोइ राखो रे ॥ पद्मावती राणी एम विलवे, ऋण ऋण विलखी याय रे ॥ दयाल कोइ राखो रे ॥ १ ॥ ए प्रांकली ॥ ए हवी वात बेली तिथ नगरी, लोकनें अचरिज थाय जी ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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