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॥ कल्याणकलिका. खं० २॥
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मूळ ग्रंथ विविधता सभर अन्वेषणात्मक लख्यो छे, ते ए ज रीते सचवाई रहेवो जोईए, ने ते माटे श्री नन्दीश्वरद्वीप तीर्थ ट्रस्ट द्वारा || आनुं प्रकाशन करवानो निर्णय थयो ।
पुनः प्रकाशननी वेळाए मूल ग्रंथमा जे थोडो फेरफार करायो छे ते विधिकारोनी अनुकुलता माटे करायो छ । जे भागविधि विधानमा उपयुक्त छे तेने अग्रताक्रम आप्यो छे अने जे विषय मात्र आ विषयनी विशद जाणकारी माटे छे तेने पाछल मूकेल छ । तेथी परिच्छेदना क्रममा ज मात्र फेरफार कर्यो छे, पण कोई परिच्छेदने दूर करवामां आवेल नथी।
पूज्यपाद गुरुभगवंतोनी प्रेरणाथी थयेल पुनःप्रकाशनना संपादनमा घणुं जाणवा मळ्युं छे ते बदल पूज्योनो हुँ ऋणी छु. ___ श्री नन्दीश्वरद्वीप तीर्थ जालोर - ट्रस्ट तरफथी प्रकाशित थता आ ग्रंथमा जेने जेने आर्थिक सहयोग आप्यो छे ते सहुनी श्रुतभक्ति एवं गुरुभक्तिनी अनुमोदना ।
ग्रंथ संपादनमा विधिना क्रममा परिवर्तनना कार्यमा विधिकारक श्री चंपालालजी (मांडवाला वाला) एवं विधिकारक श्री दिनेशभाई (जालोरवाला)नो सुंदर सहयोग प्राप्त थयो छे. बन्ने महानुभावोने आभार साथे याद करु छु. तथा ग्रंथमुद्रण करनार श्री पार्श्व कोम्प्युटरना अजयभाई तथा विमलभाईना सहकार बदल आभार.
प्रान्ते पूज्य पंन्यासजी म.ना आशय विरुद्ध काइपण थयु होय तो त्रिविधे त्रिविधे मिच्छामि दुकडम्. वाब. (बनासकांठा) गोडीजी पार्श्व २५वीं (रजत जयंति)
पूज्य आचार्यदेवश्री ॐकारसूरिजी म.ना शिष्य सालगिरा महोत्सब प्रसंगे
पू. तपस्वी मुनिराजश्री चंद्रयशविजयजी म.ना शिष्य मुनि भाग्येशविजय
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