Book Title: Kalyan Kalika Part 2
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor
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॥ कल्याणकलिका. खं० २॥
॥ क्रयाणकरूची ॥
॥ ५६४
उशीर= सुगंधी वालो चंदन= मलयागिरि चन्दन रक्तचंदन- रतवायूँ लाकडं-लाल चंदन कालेयक अगरनो निर्यास-अगरमाथी निकलतो रस परुषक= फालसा नामनी औषधी पद्मक = पद्माख-कमलबीज-कमल काकडी पुण्डरीक= श्वेत कमल तुकाक्षीरी= वंश लोचन कर्कटशृंगी= काकडा शींगी. गुडूची= गलो द्राक्षा= दाख-किसमिस दाख कटफल= कायफल कतक= कतक वृक्षनुं फल-निर्मली
राजादन= रायणर्नु फल-रायण शाक= सागनुं झाड दाडिम= दाडिमी- फल-अनार. अंजन ए नामनुं वृक्ष-काला लाकडानुं झाड. सौवीर= कालो सुरमो मांसी= जटामांसी गंधमांसी= मुरमांसी कडका= लवण-कांकरीवालुं मीठं पाण= पाड-काली पहाड. धान्यक= धाणा-कोथमीर काकमची= साजी कांणीनो क्षुप किराततिक्त= करियातुं-चिरायतो. शैलेय= शिलापुष्प-छडीलोड छडछडीलो. चक्रांका= कांकसी-मोटो पीठाडी. कंधेरी= कांथेरनुं झाड
अलाण झाउडीनं झाड मयूर शिखा= मोरशिखा नामनी बूटी काली मुसली= स्वनाम ख्यात श्वेतमुसली= स्वनामख्यात ताम्रवल्ली= त्रांबावेल हस्वपत्रा स्नुही= न्हाना पत्रो वाली दूधाली थोर कारवेल्ली= कारेली-कारेलाना बेला बदरी= बोरडीनुं झाड-बोरडी. बीयक= बीओ-बीयानुं झाड. तिनस= तिनसनुं झाड-धामण भूर्ज= भोजपत्र- झाड अथवा भोजपत्र. अर्जुन= अर्जुन वृक्ष-सादडो खदिर= खेरनुं झाड. कदर= कगहनुं झाड
॥ ५६४ ॥
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